भोपाल । 30 मई को केन्द्र की एनडीए सरकार ने दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा किया। इस उपलब्धि का जश्न मनाने से दूर मोदी सरकार फिलहाल कोरोना संकट से जूझ रही है। ऐसे में द न्यूज हाउस ने मोदी सरकार के इस एक साल के कामकाज को लेकर जनता के बीच एक विस्तृत सर्वे किया ताकि सरकार की सफलता और विफलताओं का सटीक आंकलन किया जा सके। इस सर्वे में हमने अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों से भी मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड बनाने में मदद ली, ताकि सरकार के अच्छाई और कमियां सामने ला सकें। इस सर्वे में हमने किसानों, व्यापारियों, युवाओं महिलाओं और अर्थशास्त्रियों से लेकर रक्षा विशेषज्ञों को भी शामिल किया है।
इस सर्वे में एक बात प्रमुखता से उभरी और लोगों की राय भी दो भागों में बंट गई। एक कोरोना संकट से पहले की राय और दूसरा उसके बाद के हालातों की। यानि कई लोगों ने माना कि कोरोना संकट से पहले सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला रही थी लेकिन इस महामारी की वजह से सरकार की मेहनत पर पानी फिर गया। वहीं कई लोगों का मानना है कि सरकार गिरती अर्थव्यवस्था को संभाल ही नहीं पा रही थी और कोरोना की वजह से सरकार को विफलता छिपाने का मौका मिल गया। वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जिसे धारा 370, राममंदिर और कोरोना से निपटने की रणनीति ने प्रभावित किया और उन्होंने सरकार को इन्हीं कामों के लिए पूरे नंबर दिये। खास बात ये भी है कि कई मुद्दों पर एक्सपर्ट और जनता की राय अलग अलग नजर आई। तो आपको बताते हैं कि इस सर्वे में हमने जनता से कौन से सवाल पूछे और उनके क्या रिएक्शन रहे।
ये थे सर्वे के सवाल
- मोदी सरकार के पिछले एक साल में अच्छा और खराब काम
- क्या महंगाई रोकने में कामयाब हुई मोदी सरकार ?
- क्या मोदी सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए कारगर कदम उठा पाई ?
- 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज से आप कितने संतुष्ट है ?
- कोरोना से निपटने में मोदी सरकार कितनी कारगर साबित हुई ?
- पिछले एक साल में उद्योग व्यापार जगत का क्या रहा हाल
- रक्षा मामलों में क्या भारत की स्थिति बेहतर हुई ?
एक्सपर्ट व्यू
किसान नेता – राहुल राज 5/10
युवा किसान नेता राहुल राज कांग्रेस और बीजेपी सरकार पर लगातार किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले एक साल में किसानों के लिए मोदी सरकार कुछ खास नहीं कर पाई। कर्जमाफी नहीं हुई, लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य नहीं मिला। 20 लाख करोड़ के पैकेज में भविष्य के लिए योजना बनाई गईं। जबकि तात्कालिक तौर पर किसानों को राहत दी जानी चाहिए थी। किसान सम्मान निधि योजना का फायदा भी सभी किसानों को नहीं मिला क्योंकि उनकी पूरी जानकारी ही राज्य सरकारों ने केन्द्र को नहीं भेजी। जिससे किसान हर मोर्चे पर परेशान रहा।
कपिल होलकर, इकोनॉमिस्ट 3/10
वरिष्ठ अर्थशास्त्री कपिल होलकर मानते हैं कि मोदी सरकार ने एक साल में अर्थव्यवस्था सुधारने के काफी प्रयत्न किये लेकिन उपाय कारगर सिद्ध नहीं हुए। पहले से बिगड़ी अर्थव्यवस्था कोरोना काल में ढह गई। कोरोना के पहले भी न तो लोन की कमी थी न लिक्विडिटि की ऐसे में आर्थिक पैकेज का भी फौरी तौर पर कोई फायदा नहीं मिला न मार्केट में कोई बूम आया है। इसके बजाय सरकार को आम लोगों समेत हर वर्ग को सीधा फायदा पहुंचाना था जो मोदी सरकार नहीं कर पाई। । मुद्दा ये है कि व्यापारी का भरोसा टूट गया है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में निराशा का माहौल है क्योंकि कॉस्ट बढ़ती जा रही है और डिमांड नहीं है। रियल एस्टेट सेक्टर ठप पड़ा है। कोरोना के पहले भी बेरोजगारी बड़ी समस्या थी इसलिए कोरोना की आड़ में सरकार की विफलताएं नहीं छिप सकतीं।
डीके जैन अध्यक्ष, मंडीदीप इंडस्ट्री एसो. 7/10
एक साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने बड़े फैसले लिये लेकिन धरातल पर उतारने में गड़बड़ी हुई। सरकार ने वैश्विक महामारी से निपटने में अहम भूमिका निभाई। भारत की ग्लोबल इमेज बनी है जिसमें मोदी सरकार के फैसलों का योगदान रहा। कोरोना से पूरे विश्व की इकोनॉमी तहस-नहस हुई जिसे रोक पाना किसी के वश में नहीं था। बेरोजगारी बढ़ी है लेकिन कोरोना का असर खत्म होते ही रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
केएस शर्मा पूर्व मुख्य सचिव, मप्र 8/10
दिग्विजय शासन के समय मुख्य सचिव रहे केएस शर्मा ने मोदी की प्रशासनिक कसावट की तारीफ की। उनके मुताबिक ‘ये साल अच्छा रहा, सरकार ने 370, CAA, राममंदिर जैसे बोल्ड डिसीजन लिये। इकोनॉमी पहले से ही कमजोर थी। कोरोना से निपटने में सरकार ने अच्छी भूमिका निभाई लेकिन प्रवासी मजदूरों की समस्या को दूर करने में फेल रही। गरीबों तक DBT के जरिए मदद पहुंचा दी गई लेकिन मध्यम वर्ग को आर्थिक पैकेज का कोई फायदा नहीं मिलेगा। ज्यादा लोन बांट भी दिया तो रिकवरी मुश्किल होगी और बैंकों का एनपीए बढ़ेगा।’
रिटा. कर्नल बीबी वत्स, रक्षा विशेषज्ञ 8/10
अपनी सेवा के दौरान कश्मीर से लेकर चीन बॉर्डर तक देश की रक्षा कर चुके कर्नल वत्स का मानना है कि ‘इस एक साल में रक्षा के मामले में हम पिछड़े हैं। पीएम की ग्लोबल सोच से देश की छवि तो बदली लेकिन तीनों सेनाओं को और अत्याधुनिक बनाने पर जोर देना चाहिए था। हमारी सेनाओं का काफी वक्त पाकिस्तान से निपटने में खर्च हुआ जबकि अब सीधे चीन की आंखों में आंखें डालकर बात करनी होगी। क्योंकि नेपाल की आड़ में चीन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे रहा है और वक्त रहते इस पर लगाम न लगा पाना एक विफलता मानी जाएगी।’
ललित जैन अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स 9/10
देश में खुदरा व्यापारी सरकार से नाराज है क्योंकि एक तरफ उस पर कोरोना की मार पड़ी है और दूसरी तरफ उसे राहत के नाम पर कुछ नहीं मिल पाया ऐसे में हमारे सर्वे में जहां छोटे व्यापारी मोदी सरकार से नाखुश नजर आए वहीं भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ललित जैन अभी भी आशान्वित हैं। उनका मानना है कि एक साल में व्यापार-व्यवसाय की रफ्तार अच्छी रही लेकिन कोरोना संकट की वजह से काफी पीछे चले गए। आर्थिक पैकेज से काफी उम्मीदें हैं और व्यापारी वर्ग उसका जरुर लाभ लेगा।
आदित्य मनिया, चार्टड एकाउंटेंट 8/10
विपक्ष के तमाम आरोपों के बावजूद एक्सपर्ट मानते हैं कि पिछला एक साल जैसा भी रहा लेकिन कोरोना संकट में सरकार ने पैसा पंप किया जिसका फायदा गिरती अर्थव्यवस्था को मिला है। घरेलु कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने स्वदेशी का नारा दिया जिससे विदेशी सामानों पर आत्मनिर्भरता कम होगी। पिछले एक साल में सरकार रोजगार देने पर फोकस नहीं कर पाई उम्मीद है कोरोना समाप्ति के बाद सरकार इस पर गंभीरता से सोचेगी।
एक साल में मोदी सरकार से किसान खुश या नाराज ?
32 फीसदी किसानों ने मोदी सरकार से जताई संतुष्टि
वजह – किसान सम्मान निधि योजना
48 फीसदी किसानों ने जताई नाराजगी
वजह – बोनस नहीं मिलना, कर्जमाफी नहीं होना
20 फीसदी किसान न संतुष्ट न नाराज
एक साल के कामकाज पर व्यापार जगत की राय
33 फीसदी व्यापारी मोदी सरकार से संतुष्ट
वजह – आर्थिक पैकेज से उम्मीद
52 फीसदी व्यापारियों में नाराजगी
वजह – योजनाओं का लाभ न मिलना, जीएसटी
15 फीसदी व्यापारियों न खुश न नाराज
रक्षा क्षेत्र में क्या कहते हैं एक्सपर्ट
62 फीसदी मोदी सरकार से संतुष्ट
वजह – CAA, धारा 370, राम मंदिर, राफेल
38 फीसदी लोग नाखुश
वजह – आतंकवाद, नक्सलवाद, सीमा विवाद, सैन्य बल की कमी
यह सर्वे मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के किसान, उद्योगपति, अर्थशास्त्री, महिलाओं एवं युवाओं की राय पर आधारित है।
STORY BY : DIPESH JAIN, VIKAS SHARMA, MAYANK SHUKLA